डोनाल्ड ट्रंप ने हटाए सीरिया पर प्रतिबंध, दमिश्क में जश्न

हुसैन अफसर
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी-अमेरिका इन्वेस्टमेंट फोरम में बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि सीरिया पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। ट्रंप के इस फैसले से सीरिया में एक नए राजनीतिक और आर्थिक अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।

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सीरिया के विदेश मंत्री असद हसन अल-शबानी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा –

“सऊदी अरब के नेतृत्व में हमारे भाइयों के रुख के लिए धन्यवाद, हम सीरियाई लोगों के योग्य भविष्य की दिशा में एक नया पन्ना पलट रहे हैं।”

इस ऐलान के बाद सीरिया की राजधानी दमिश्क में हवाई फायरिंग और सड़कों पर जश्न का माहौल देखा गया। लोग इस फैसले को राहत और मान्यता के रूप में देख रहे हैं।

राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव

पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद, जो दो दशकों से अधिक समय तक सीरिया पर शासन करते रहे, उन्हें नवंबर 2024 में हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के विद्रोहियों द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।

अब देश की कमान संभाल रहे हैं – HTS प्रमुख अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी, जो पहले एक आतंकी संगठन के नेता के रूप में जाने जाते थे, लेकिन अब राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका में सामने आए हैं।

अब क्या आगे?

  • क्या अमेरिका HTS को आधिकारिक मान्यता देगा?

  • क्या यह प्रतिबंध हटाना सिर्फ तेल और निवेश डिप्लोमेसी है?

  • पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया इस नई सत्ता पर क्या होगी?

डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला न सिर्फ भू-राजनीतिक संतुलन को हिला सकता है, बल्कि यह एक बड़े डिप्लोमैटिक यू-टर्न की तरह देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह राहत सीरियाई जनता की भलाई के लिए है या पश्चिमी हितों के पुनर्संरेखन की नई बिसात।

क्या कहना है रूबी अरुण का:

डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया पर से प्रतिबंध हटाकर फिर एक बार दिखा दिया कि अमेरिका की विदेश नीति में स्थायित्व से ज्यादा महत्व परिस्थिति-प्रेरित अवसरवाद को है। यह फैसला अचानक नहीं, बल्कि बड़ी भू-राजनीतिक बिसात का हिस्सा लगता है – जहां सऊदी अरब, HTS, और अमेरिकी तेल-निवेश हितों की सांठगांठ एक नया गठबंधन रच रही है।

जिस देश में एक दशक से अधिक समय तक गृहयुद्ध ने खून की नदियाँ बहा दीं, और जहां आज भी लाखों शरणार्थी दर-बदर हैं, वहां महज़ प्रतिबंध हटाकर “नए भविष्य” की उम्मीद करना, जमीनी सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि –
HTS जैसे संगठन को अमेरिका कब से ‘राजनीतिक विकल्प’ मानने लगा?
क्या अबू मोहम्मद अल जुलानी का अतीत वाशिंगटन की फाइलों से मिटा दिया गया है?

नया गठजोड़ या पुराना धोखा?

ट्रंप के इस कदम से सऊदी अरब तो एक निर्णायक मध्यस्थ बनकर उभरा है, लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि यह ‘मध्यस्थता’ कितनी स्वार्थ-मूलक है। सऊदी अरब, अमेरिका और HTS के बीच यह त्रिकोण अगर टिकता है, तो यह सीरियाई जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर पर्दा डाल सकता है।

जनता का भविष्य या अंतरराष्ट्रीय सौदा?

शब्दों में “नया पन्ना” भले ही पलट गया हो, लेकिन उस पन्ने पर स्याही किसकी है – यह देखना ज़रूरी है। क्या यह निर्णय सीरिया के पुनर्निर्माण के लिए है या सिर्फ मध्य-पूर्व में अमेरिका के घटते प्रभाव को फिर से पाने की चाल?

ट्रंप का यह ऐलान कूटनीति की भाषा में सौदा है, सहायता नहीं। सीरिया के लिए यह राहत कम, और एक नई अस्थिरता का संकेत ज्यादा है – जहां पुराने तानाशाह की जगह एक पूर्व जिहादी कमांडर को लोकतंत्र की कुर्सी पर बैठाने की तैयारी हो रही है। यह न तो इतिहास से सबक है, न ही भविष्य की गारंटी।

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